सफलता के लिए स्वामी विवेकानंद के सुविचार

उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।

तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं।

सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।

विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।

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