स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक विचार, आपके जीवन का रुख बदल देंगे
एक शब्द में यह आदर्श है कि 'तुम परमात्मा हो।'
भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर।
बाहरी स्वभाव केवल अंदरुनी स्वभाव का बड़ा रूप है।
यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं।
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं।
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
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