ब्रिटिश इतिहासकार किप्लिन ने इस दुर्ग के लिए कहा है कि - इस दुर्ग का निर्माण देवताओ, फरिश्तों, तथा परियों के माध्यम से हुआ है।
जोधपुर के शासक राव जोधा ने 1459 में इस किले का निर्माण शुरू करवाया था और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया।
वहीं किले का अंतिम द्वार लोह पोल के बाईं ओर जौहर करने वाली रानियों के हाथों के निशान हैं।