क्या आप जानते है मेहरानगढ़ दुर्ग के बारे में ये बाते

राठौड़ों के शौर्य के साक्षी मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव मई, 1459 में रखी गई।

मेहरानगढ़ दुर्ग चिडि़या-टूक पहाडी पर बना है।

मोर जैसी आकृति के कारण यह किला म्यूरघ्वजगढ़ कहलाता है।

ब्रिटिश इतिहासकार किप्लिन ने इस दुर्ग के लिए कहा है कि - इस दुर्ग का निर्माण देवताओ, फरिश्तों, तथा परियों के माध्यम से हुआ है।

जोधपुर के शासक राव जोधा ने 1459 में इस किले का निर्माण शुरू करवाया था और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया।

वहीं किले का अंतिम द्वार लोह पोल के बाईं ओर जौहर करने वाली रानियों के हाथों के निशान हैं।

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